आज इस पोस्ट में बात करेंगे सबसे दमदार स्प्रे के बारे में आपकी गेहूं की फसल 70 से 80 दिन के बीच की हो चुकी है। उस समय पर अपनी गेहूं में NPK 0:52:34 + बोरोन + फंगीसाइड करना है। जो आपकी गेहूं की फसल के लिए सबसे रामबान साबित होगी अगर आप अपनी गेहूं की फसल में इस समय तक सारा कुछ डाल चुके हो और या फिर अपनी गेहूं की फसल में डालने में कुछ कमियां रह गई हो तो आप इस सप्रे से अच्छी पैदावार ले सकते है। गेहूं की फसल 70 से 80 दिन की है। तो इस समय हमें यूरिया का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना है। क्योंकि दानेदार यूरिया का जो काम करने का था वह यूरिया कर चुका अब हमें अपनी गेहूं की फसल में यूरिया को बिल्कुल नहीं डालना है।
क्योंकि अगर हम इस समय पर दानेदार यूरिया का उपयोग करते हैं। तो फसल में रोग आने की सभावना बनी रहती है। अब गेहूं में हमें पोषक तत्वों की जरूरत होती है। जो हम सप्रे के द्वारा पूर्ति कर सकते हैं इसके लिए हमें गुलनशील फर्टिलाइजर NPK 0:52:34 + बोरोन + फंगीसाइड स्प्रे की जरूरत पड़ती है।
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गेहूं में NPK 0:52:34 + बोरोन + फंगीसाइड का प्रयोग करे
गेहूं में 70 से 80 दिन की फसल हो जाने पर इन तीनों का कॉन्बिनेशन 0:52:34 बोरोन और फंगीसाइड का आपकी फसल में वरदान साबित होता है। पहले हम बात करते हैं 0:52:34 के बारे में
NPK 0:52:34 में क्या पाया जाता है
यह एक घुलनशील फर्टिलाइजर होता है। जो गेहूं में 60 से 70 दिन की फसल में स्प्रे करने से 0:52:34 से फसल की पैदावार बढ़ जाती है। एसएनपीके में 0% नाइट्रोजन 52% फास्फोरस 34% पोटेशियम पाया जाता है। गेहूं के पौधों में नाइट्रोजन की बहुत आवश्यकता होती है जिससे पौधे हरे-भरे चमकदार बन जाते हैं दूसरे पौधों की बढ़वार अच्छे से हो पाती हैं।
52% फास्फोरस
गेहूं की फसल में फास्फोरस की दो समय पर बहुत अधिक जरूरत होती है। पहले जड़ों के विकास के समय और दूसरी फसल गोबोट अवस्था में जब बाली निकलने वाली हो तब फास्फोरस की अधिक जरूरत होती है फास्फोरस फसल में फल और फूलों का अच्छे से विकास करता है। कई बार शिकायत आती है। कि दोनों का अच्छे से भराव नहीं हो पाया है। फास्फोरस की कमी से गेहूं के बलिया में डिफिशिएंसी आ जाती है जिससे दोनों का अच्छे से भराव नहीं हो पाता इसलिए फास्फोरस की बहुत अधिक जरूरत होती है। फास्फोरस की सप्रे करने से पौधों में बोलियां की सेल डिविजन को बढ़ाने का काम करती है।
34% पोटैशियम
पोटेशियम का भी गेहूं की फसल में बहुत अधिक जरूरत होती है। एक दानेदार पोटाश आती है। जो गेहूं बुवाई के टाइम डालनी पड़ती है। अगर आपने उस टाइम नहीं डाली तो अब आप पोटैशियम का उपयोग सप्रे के द्वारा गेहूं के पौधों में पोटैशियम की पूर्ति कर सकते हैं पोटैशियम से गेहूं के दान में चमक बन जाती है। जब गेहूं के पौधों में बालियां निकलने वाली होती है। तNPK 0:52:34 का छिड़काव कैसे करें
यह एक घुलनशील उर्वरक है। इसका छिड़काव 16 लीटर वाले स्प्रे पंप में 75 ग्राम खाद का उपयोग कर सकते हैं। अगर आप प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करते हैं तो 800 से 1 किलो खाद 150 से 200 लीटर पानी में मिलकर स्प्रे पंप से छिड़काव कर सकते हैं।
गेहूं में बोरोन का उपयोग
गेहूं में बोरोन की स्प्रे करने से गेहूं की बोलियों में दाने अच्छे से भर जाते हैं। आपने कई बार ऑब्जर्व किया होगा कि गेहूं की बलिया में दाने अच्छे से भरे नहीं है। यह बोरोन की कमी से होता है। और बोरोन गेहूं के दानों की क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने का काम करता है। मिट्टी में कैल्शियम को ऑब्जर्व करना बोरोन का काम होता है।
बोरोन फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जिससे फसल में रोग और कीटों का प्रकोप कम हो जाता है। बोरोन से गेहूं की जड़ों में वृद्धि और पौधों के विकास में कारगर साबित होती है। बोरोन पौधों की वृद्धि को बढ़ाता है।
गेहूं में बोरोन की कमी के लक्षण से गेहूं के पौधे में बढ़वार कम होती है। गेहूं की पत्तियों का पीला और बुरा हो जाना बोरो की कमी को दर्शाता है। गेहूं की बोलियों में दोनों का विकास न होना
गेहूं में 0:52:34 और बोरोन की कितनी मात्रा में स्प्रे करें
आप अपनी गेहूं में एक बीघा के अंदर 0:52:34 की 1 किलो पर बीघा के हिसाब से स्प्रे कर सकते हैं। और 100 लीटर पानी के अंदर अच्छी तरह से मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं।
इसके साथ में बोरोन को मिलाना चाहते हो तो बोरोन 100 ग्राम प्रति बीघा के हिसाब से 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते हो
गेहूं में फंगीसाइड का उपयोग
गेहूं में फंगीसाइड का उपयोग फफूंद जनित रोगों के बचाव व नियंत्रण के लिए किया जाता है। गेहूं में फफूंद जनित रोगों के बचाव के लिए सही समय पर फंगीसाइड का उपयोग करना बहुत जरूरी होता है। जिससे उपज अधिक हो सके और फफूंद जनित रोगों से फसल को बचाया जा सके फंगीसाइड का उपयोग गेहूं में रोग आने से पहले ही कर देना चाहिए जिसे आपकी गेहूं में आपको ज्यादा पैदावार देखने को मिलेगी
गेहूं में फंगीसाइड के लक्षण:-
- गेहूं की पत्तियों में बुरे रंग के धब्बे पड़ जाना
- गेहूं की बोलियां में कालापन और बीजों का सड़ना
- गेहूं की पत्तियों में लाल, बुरे व पीले रंग के धब्बे आ जाना
गेहूं में फंगीसाइड दवाई
गेहूं के लिए बहुत सारे फंगीसाइड बाजार में उपलब्ध है। लेकिन आप बेस्ट फंगीसाइड सिजेंटा कंपनी का Ampect Xtra Technical name Azoxystrobin 18.2% Cyperaconazole 7.3% 1 ml 1 लीटर पानी के साथ स्प्रे कर सकते हैं। यानी 100 लीटर पानी में 100 ml दवाई का उपयोग करते हैंब पौधा जड़ से भोजन ग्रहण करता है। जिसे तना और बालियान मजबूत बन जाती है। जब आपकी फसल 60 से 70 दिन की हो जाती है। तब ठंड पढ़नी शुरू हो जाती है। तब पोटैशियम आपकी फसल को ठंड से बचाव करती है।